विद्यालय का संक्षिप्त इतिहास

             सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयः की दिव्य चेतना का उद्घोष करने वाली भारतीय संस्कृतिः स्वयंभू सर्वभूतेषु के श्रेष्ठ संस्कारों से परिपूर्ण, शिक्षा के संपूर्ण संदेश को आलोकित करती है, वसुधैव कुटुम्बकम का सुंदर संदेश देती हमारी शिक्षण संस्था सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज, माधोटांडा रोड, पूरनपुर (पीलीभीत) अपनी सोने और चांदी की अंगूठियों से जनता को रोशन कर रहा है। अपने निश्चित लक्ष्य को प्राप्त करने वाली शिक्षा से शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा को लाभान्वित कर छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए श्री जयदेव गुप्ता, पूरनपुर शहर के शिक्षाविद् श्री नवल किशोर गुप्ता, श्री सत्यनारायण मालपानी, श्री हरिश्चन्द्र खंडेलवाल, श्री मोतीलाल गुप्ता, श्री श्याम मोहन गुप्ता, श्री सच्चिदानंद जी, श्री अतर सिंह जैन और श्री राम कृपाल गुप्ता आदि के अथक प्रयासों और अतुलनीय सहयोग एवं प्रशासक श्री हरिश्चन्द्र गुप्त, तत्कालीन प्रधानाचार्या श्रीमती मुक्ता जैन के निःस्वार्थ भावना के मार्गदर्शन में तीन शिक्षकों तथा 35 छात्र-छात्राओं के साथ मोहन सरस्वती शिशु मंदिर के प्रांगण में 1978 में सरस्वती विद्या मन्दिर की दीपज्योति को प्रज्ज्वलित किया। छात्रों के निरंतर गुणात्मक विकास के कारण श्री प्रमोद कुमार गुप्ता के भवन में तीन वर्ष तक विद्यालय किराए पर चलता रहा। विद्यादान महादान की भावना से प्रेरित होकर उदार हृदय की अनुपम स्वरूपा स्व0 श्रीमती रामदुलारी जी वैश्य पत्नी स्व0 लाला रामस्वरूप जी वैश्य ने विद्यालय को स्थायित्व प्रदान करने के लिए माधौटांडा रोड, पूरनपुर स्थित प्रसाद टाकीज के पास भूमि दान में दी। विद्यालय को भूमि उपलब्ध कराने में श्री मदन मोहन लाल जी, श्री अक्षय कुमार गुप्ता जी तथा मुरारी लाल गुप्ता जी का अतुलनीय सहयोग रहा। श्री कैलाश चंद्र गुप्ता, श्री सुरेन्द्र कुमार गुप्ता के अच्छे कार्य और परिश्रम के कारण स्कूल भवन का निर्माण कार्य शुरू हुआ और छात्र निजी परिसर में अध्ययन करने लगे।
            वर्ष 1993 में कुशल प्रबंधक श्री रवि कुमार गुप्ता पुत्र श्री नवल किशोर गुप्ता एवं तत्कालीन प्रधानाचार्य श्री मंगल सिंह जी के सराहनीय प्रयासों से विद्यालय को माध्यमिक शिक्षा परिषद, उत्तर प्रदेश, प्रयागराज से मान्यता प्राप्त हुई। 1995 में हाईस्कूल का पहला परीक्षाफल 100: रहा। विद्यालय की प्रतिष्ठा और आभा के स्वर्ण रत्नों को ऊँचाई तक पँहुचाने में श्री केशव कुमार गुप्ता एवं श्री संजय कुमार गुप्ता का योगदान अविस्मरणीय एवं सराहनीय रहा है। उत्तरोत्तर विकास के पथ पर प्रबंधक श्री रवि कुमार गुप्ता पुत्र श्री जयदेव गुप्ता एवं तत्कालीन प्रधानाचार्य श्री ओमकार सिंह के सतत प्रयासों से विद्यालय को वर्ष 1998 में विज्ञान वर्ग में इंटरमीडिएट के रूप में मान्यता मिली। सन् 2000 ई. में पहली बोर्ड परीक्षा का परिणाम 97: था। भूमि भवन एवं छात्र संख्या के पोषण एवं संरक्षण का कार्य स्वर्गीय श्री गिरीश चन्द्र मिश्र द्वारा निरन्तर किया जाता रहा। प्रबंधन के क्रम में ही 2009 में तत्कालीन प्रबंधक श्री हरिवल्लभ गुप्ता एवं तत्कालीन प्रधानाचार्य श्री चंद्रभान शर्मा जी ने एक अभिनव प्रयोग (डे-बोर्डिंग योजना) प्रारम्भ किया जिससे परीक्षा परिणाम और भी अच्छा हो गया। प्रबंधक श्री हर्ष कुमार गुप्ता एवं तत्कालीन प्रधानाचार्य डॉ. जितेंद्र चैहान के निर्देशन में विद्यालय का आधुनिकीकरण किया गया जिसके तहत विद्यालय में स्मार्ट क्लास शुरू की गईं तथा कक्षा-कक्ष एवं सम्पूर्ण विद्यालय भवन में सीसीटीवी कैमरे लगाये गये। अभिभावकों और समाज की भारी मांग पर हमारे कॉलेज में 2016 से अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा शुरू की गई। 2018 से इस परिसर में प्राथमिक कक्षाएं भी शुरू की गईं। वर्तमान में अध्यक्ष श्री संजय गुप्ता, प्रबंधक श्री हरिवल्लभ गुप्ता, कोषाध्यक्ष श्री उमंग गुप्ता, प्रबन्धन तन्त्र के अन्य पदाधिकारियों और प्रधानाचार्य संजय कुमार मिश्रा के नेतृत्व में स्कूल नई ऊंचाइयों को छूने और नया इतिहास रचने के लिए अथक प्रयास कर रहा है।